मध्य प्रदेश
भोपाल मास्टर प्लान पर BJP विधायक का बड़ा बयान,रामेश्वर शर्मा बोले-मास्टर प्लान रद्द होगा
भोपाल मास्टर प्लान-2031 पर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने फिर सवाल उठाए हैं। सोमवार को उन्होंने कहा कि इस मास्टर प्लान को हमने रद्द करने की बात कही है और यह रद्द होगा। मास्टर प्लान पर हम नए सिरे से काम करेंगे। इससे पहले आपत्तियों की सुनवाई के दौरान भी विधायक शर्मा नाराजगी जता चुके हैं।
विधायक शर्मा ने कहा कि जिन्होंने तालाब बचाया है, उन किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा। किसानों की जमीन कृषि क्षेत्र में ही रहेगी। निर्माण की अनुमति मिलेगी तो ठीक नहीं तो मास्टर प्लान नहीं आएगा। प्लान में कैचमेंट, FAR, उद्योग एवं कृषि उद्योग आदि पर पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी किसान या नागरिक को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस मास्टर प्लान को हमने रद्द करने की बात कही है और यह रद्द होगा। नए सिरे से मास्टर प्लान पर हम काम करेंगे। किसान की जमीन एग्रीकल्चर थी और होगी। उसे आवासीय या दूसरे क्षेत्र में लाया जाएगा। जिससे किसान के परिवार को लाभ हो। जीवन छिनने का काम सरकार नहीं करेगी। बल्कि उसका जीवन बनाने का काम करेगी। किसानों को आंदोलन करने की जरूरत भी नहीं है, मैं उनके साथ हूं।
3005 आपत्तियों पर अगस्त-सितंबर में हो चुकी सुनवाई
भोपाल के मास्टर प्लान का ड्राफ्ट 2 जून को सरकार ने जारी कर दिया था। ड्राफ्ट जारी होने के 30 दिन के अंतर कुल 3005 आपत्ति और सुझाव मिले थे। इनकी सुनवाई छह चरणों में हुई। प्रथम चरण में 9 से 11 अगस्त तक, द्वितीय चरण में 16 से 18 अगस्त तक, तीसरे चरण की सुनवाई 21 से 25 अगस्त, चतुर्थ चरण 28 से 29 अगस्त तक, पांचवें चरण में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक और छठवां एवं अंतिम चरण में 4 से 5 सितंबर तक सुनवाई की गई। आपत्तियों को लेकर जनप्रतिनिधियों, किसानों, आमजनों और क्रेडाई सदस्यों ने भी अपनी नाराजगी जताई थी।
विधायक शर्मा ने सुनवाई के दौरान भी आपत्ति जताई थी
सुनवाई के दौरान 17 अगस्त को प्लान के प्रस्तावों पर विधायक शर्मा ने भी नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि प्रस्तावित मास्टर प्लान बिना भौतिक सत्यापन किए, शहर की परिस्थितियों को समझे बिना ही आंख बंद करके बना दिया गया है। यह शहर की 35 लाख आबादी के साथ धोखा है। 60–70 वर्षों से लेकर 100 साल तक पुराने गांव हैं, जो कि अब नगर निगम सीमा में है। उनकी भूमि एग्रीकल्चर थी। अब उनकी भूमि को ग्रीन बेल्ट और कैचमेंट में डाल दिया गया है। जिसके कारण वह अपनी भूमि पर खेती से संबंधित भी कोई उपक्रम या डेयरी आदि भी संचालित नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उनके बेटा-बेटी कहां जाएंगे। इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। ऐसे किसानों के परिवार का जीवन-यापन कैसे होगा? मास्टर प्लान इंसानों के लिए होता है लेकिन प्रस्तावित प्लान से इंसानों को बेघर किया जा रहा है। कलेक्टर के आदेश से जिन बस्तियां को पुनः बसाया गया है, उसे भी कैचमेंट में डाल दिया गया है। विधायक ने अन्य मुद्दों पर भी नाराजगी जताई थी।
अभी यहां पहुंचा मास्टर प्लान…
3 हजार आपत्तियां दरकिनार कर दी गईं
मास्टर प्लान-2031 के फाइनल ड्राफ्ट पर आईं 3000 आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया है। जून में जारी हुए ड्राफ्ट में केवल एक छोटा सा बदलाव किया गया है। आरजी-4 यानी शहर के बाहरी नव विकसित इलाकों में जहां बेस एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) 0.25 प्रस्तावित था, उसे बढ़ाकर 0.50 किया गया है। डेवलपर्स और टाउन प्लानर्स ने इसे कम से कम 1.25 करने की मांग की थी। बड़े तालाब और केरवा व कलियासोत के कैचमेंट एरिया में भी लैंडयूज और एफएआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अरेरा कॉलोनी और चूना भट्टी में भी बेस एफएआर बढ़ाने की मांग को नामंजूर कर दिया गया है।
इसके बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसरों ने फाइल विभागीय मंत्री भूपेंद्र सिंह के कार्यालय में भेज दी है। हालांकि, इसकी अभी मंजूरी को लेकर भी संशय बना हुआ है, क्योंकि कुछ दिनों बाद ही चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। वहीं, जनप्रतिनिधियों की नाराजगी भी है।
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