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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन जारी करेगा,सुझाव मांगे, कहा- सिर्फ आरोपी होने पर किसी का घर नहीं गिरा सकते, दोषी हो तब भी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बुलडोजर एक्शन को लेकर गाइडलाइन जारी करने की बात कही है। कोर्ट ने इस मामले में सुझाव मांगे हैं और यह स्पष्ट किया है कि केवल आरोपी होने के आधार पर किसी का घर नहीं गिराया जा सकता। यहां तक कि यदि कोई व्यक्ति दोषी भी पाया जाता है, तब भी उसके घर को गिराने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन किया जाए और किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो। यह कदम देश में न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देशभर में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि केवल आरोपी होने के आधार पर किसी की प्रॉपर्टी को गिराने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
बेंच ने सवाल उठाया कि यदि कोई व्यक्ति केवल आरोपी है, तो उसकी प्रॉपर्टी को गिराने का अधिकार कैसे मिल सकता है? यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि इस प्रकार की कार्रवाई से किसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार दोष सिद्ध होने के बाद ही किसी प्रकार की सजा या कार्रवाई की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे इस मामले में उचित गाइडलाइन जारी करेंगे ताकि किसी भी प्रकार की अवैध या असंवैधानिक कार्रवाई से बचा जा सके। कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं और इस मुद्दे पर आगे की सुनवाई के लिए तारीख तय की है।
यह निर्णय उन मामलों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई की जाती है, जिससे प्रभावित लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देशभर में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि केवल आरोपी होने के आधार पर किसी की प्रॉपर्टी को गिराने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
बेंच ने सवाल उठाया कि यदि कोई व्यक्ति केवल आरोपी है, तो उसकी प्रॉपर्टी को गिराने का अधिकार कैसे मिल सकता है? यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि इस प्रकार की कार्रवाई से किसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार दोष सिद्ध होने के बाद ही किसी प्रकार की सजा या कार्रवाई की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे इस मामले में उचित गाइडलाइन जारी करेंगे ताकि किसी भी प्रकार की अवैध या असंवैधानिक कार्रवाई से बचा जा सके। कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं और इस मुद्दे पर आगे की सुनवाई के लिए तारीख तय की है।
यह निर्णय उन मामलों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई की जाती है, जिससे प्रभावित लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
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