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पेंसिल की नोक पर सबसे छोटे भगवान श्रीराम, आर्टिस्ट की कला देख रह जाएंगे दंग!..

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यह एक रोचक और अद्वितीय कला प्रदर्शन है, जिसमें कलाकार ने पेंसिल की नोक का उपयोग करके भगवान श्रीराम की छवि बनाई है। इस प्रकार की चुनौतीपूर्ण कला प्रदर्शनी देखना बहुत ही अद्भुत हो सकता है, जिससे आपके दर्शकों को आश्चर्य हो सकता है।

यह एक शानदार कला प्रदर्शन है जो युवा मूर्तिकार नवरत्न प्रजापति द्वारा बनाई गई है। पेंसिल की नोक पर ऐसी अद्वितीय और छोटी रूपरेखा में भगवान राम की छवि बनाना किसी ने सोचा भी नहीं होता। इस आर्टवर्क के माध्यम से वह दर्शाता है कि कला किसी भी साधन से बना सकती है और छोटी चीजों में भी अत्यंत सुंदरता हो सकती है।

अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के दौरान भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा का निर्माण कार्य किया गया है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ अवसर है जब आर्टिस्ट्स भगवान की मूर्ति बनाने का सौभाग्य पा रहे हैं। यह एक सुंदर और अनूठी कला प्रदर्शन हो रही है, जो भक्तों और कला प्रेमियों को प्रभावित कर रही है। यह मूर्ति भगवान राम के बाल स्वरूप की आदर्श चित्रण करने का प्रयास है, और इससे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा मिल रहा है।

महेश नगर, जयपुर के निवासी नवरत्न प्रजापति ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की पुस्तक में दर्ज होल्डर होने का सम्मान प्राप्त किया है। उन्होंने पेंसिल की नोक पर भगवान श्रीराम की छवि बनाई है, जो कि एक अद्वितीय और सौंदर्यपूर्ण कला रचना है। इसमें उनकी कला का उच्चतम स्तर और सौन्दर्य प्रकट हो रहा है जिसने उन्हें दुनिया भर में मशहूर बना दिया है।

यह रिकॉर्ड नवरत्न प्रजापति की निष्ठा, कला कुशलता और उनकी अद्वितीय आलेखनी को प्रमोट करने के लिए एक माध्यम के रूप में साबित होता है। उनका योगदान देशवासियों को गर्वित करता है और सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन रहा है।

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नवरत्न प्रजापति ने पहले भी लकड़ी की चम्मच और पेंसिल की नोक पर कई महत्वपूर्ण और सौंदर्यपूर्ण मूर्तियाँ बनाई हैं। इनमें भगवान गणपति, भगवान महावीर स्वामी, महाराणा प्रताप, वल्लभ भाई पटेल, वीर शिवाजी, सारदार भगत सिंह, श्रीकृष्ण, श्रीराम, बुद्ध, और आदिवासी समुदायों के वीरों की मूर्तियाँ शामिल हैं। उनकी कला का स्तर और संवेदनशीलता ने उन्हें अन्तरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। उनके कार्यों से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सजीव रूप से बचाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान है।

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