धार्मिक ज्ञान/विज्ञान
दीवाली के दिन की जाने वाली मान्यताएँ और परंपराएँ
दीवाली का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखता है। दीपावली पर मान्यताओं, रीति-रिवाजों, और परंपराओं का महत्व है, जो सदियों से चली आ रही हैं। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, लक्ष्मी पूजन करते हैं, दीप जलाते हैं और पूरे परिवार के साथ उत्सव मनाते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं दीवाली के दिन की प्रमुख मान्यताओं और परंपराओं के बारे में विस्तार से।
दीवाली से जुड़ी मान्यताएँ (Beliefs Associated with Diwali)
- भगवान राम की घर वापसी: पौराणिक कथा के अनुसार, दीवाली के दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे, और तभी से दीवाली का पर्व दीपों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- माँ लक्ष्मी का आगमन: ऐसा माना जाता है कि दीवाली के दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों के घरों में समृद्धि व सुख का वरदान देती हैं। इसी कारण लोग अपने घरों को साफ-सुथरा रखते हैं और दरवाजों पर रंगोली और दीप जलाते हैं ताकि लक्ष्मीजी का स्वागत अच्छे से हो सके।
- नरक चतुर्दशी की कथा: मान्यता है कि दीवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इससे जुड़ी परंपराओं के तहत लोग इस दिन अपने घरों की सफाई करते हैं और बुराई को दूर करने के प्रतीक के रूप में घर को रोशन करते हैं।
- धनतेरस का महत्व: दीवाली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा होती है और सोने, चांदी, बर्तन खरीदने की परंपरा है, जिसे घर में संपत्ति व स्वास्थ्य में वृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
दीवाली परंपराएँ (Traditions of Diwali)
- घरों की साफ-सफाई और सजावट: दीवाली के पहले घरों की साफ-सफाई करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे बुरी शक्तियों और नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद घर में दीप जलाए जाते हैं और रंगोली बनाई जाती है जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- लक्ष्मी पूजन: दीवाली के दिन शाम के समय लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में समृद्धि आती है। पूजा में धन, सुख और संपत्ति की कामना की जाती है।
- दीप जलाना: दीवाली का मुख्य आकर्षण दीप जलाना है। पूरे घर, आंगन और बालकनी में दीप जलाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। दीप जलाने की परंपरा को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।
- पटाखे जलाना: दीवाली पर पटाखे जलाना एक पारंपरिक रिवाज है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के कारण अब यह कम किया जा रहा है। लोग अब पटाखों के बजाय दीयों और लाइट्स से अपना घर सजाते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता।
- मिठाइयों और पकवानों का आदान-प्रदान: दीवाली के दिन घरों में तरह-तरह की मिठाइयां और व्यंजन बनते हैं। परिवार और दोस्तों के बीच मिठाई और उपहारों का आदान-प्रदान होता है, जिससे आपसी प्रेम और स्नेह बढ़ता है।
- दिवाली मेले और भजन कीर्तन: कुछ जगहों पर दीवाली के अवसर पर मेले और भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इससे इस पर्व की धार्मिक और सांस्कृतिक भावना और भी गहरी हो जाती है।
दीवाली के कुछ खास रीति-रिवाज (Special Rituals of Diwali)
- चौकी सजाना: दीवाली के दिन विशेष रूप से लक्ष्मी गणेश की चौकी सजाई जाती है, जिसमें धूप, अगरबत्ती, फूल, चावल और दीप से सजावट की जाती है। इससे पूजा का माहौल और अधिक पवित्र बनता है।
- नए बही-खाते का पूजन: व्यापारी वर्ग में दीवाली के दिन नए बही-खाते की पूजा का विशेष महत्व है। इसे “चोपड़ा पूजन” कहा जाता है। इससे व्यापार में समृद्धि और वृद्धि की कामना की जाती है।
- श्रीसूक्त पाठ और लक्ष्मी स्तोत्र: दीवाली के अवसर पर कई परिवारों में श्रीसूक्त पाठ और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ होता है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास बना रहता है।
निष्कर्ष
दीवाली की मान्यताओं और परंपराओं में भारतीय संस्कृति की गहरी झलक मिलती है। यह पर्व हमें एकता, सौहार्द, और प्रेम की भावना का संदेश देता है। दीवाली पर की जाने वाली मान्यताएँ और परंपराएँ न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि समाज में एकजुटता और खुशी का संदेश भी देती हैं।
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