मध्य प्रदेश
जीतू पटवारी ने बाघों की सुरक्षा को लेकर जताई चिंता
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एमपी में बाघों की सुरक्षा को लेकर चिंता ज़ाहिर की है। उन्होने कहा है कि मध्यप्रदेश में बाघों से जुड़े खतरे को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होने कहा कि हम ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा बनाए रखें इसके लिए विशेष प्रयात करने होंगे। उन्होने मांग की कि टाइगर रिजर्व के चयन और क्रियान्वयन में तेजी लाई जाए। बाघों को बचाने और बढ़ाने की व्यक्तिगत निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय से की जाए और साथ ही हर तीन माह में सरकारी प्रयास का तथ्यात्मक विवरण सार्वजनिक भी किया जाए।
बाघों की सुरक्षा को लेकर जताई चिंता
जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा है कि ‘कूनो नेशनल पार्क में चीता परिवार का कुनबा बढ़ने की सूचना सुखद है। उम्मीद करें कि मप्र सरकार विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में सभी की सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता से प्रयास करती रहेगी। लेकिन, ‘टाइगर स्टेट’ #मध्यप्रदेश में बाघों से जुड़े खतरे को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि हम संक्षेप में ही समझाने का प्रयास करें तो – 2023 से हर दसवें दिन एक बाघ की मौत, 2022 के मुकाबले ये आंकड़ा 30% ज्यादा, 2023 में मप्र में 41 बाघों की मौत, 41 में से 30 की मौत टाइगर रिजर्व में हुई, बांधवगढ़ में सबसे ज्यादा 13 बाघों की मौत, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में हर दसवें दिन एक बाघ की मौत हो रही है! रोकथाम के लिए बीजेपी सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए ? 2023 में मप्र में 41 बाघों की मौत में सबसे ज्यादा 13 मौतें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, 8 कान्हा टाइगर रिजर्व और 4 मौतें पन्ना टाइगर रिजर्व में हुई हैं! बताया जा रहा है इनमें 19 नर, 15 मादा हैं और 7 के बारे में पुख्ता जानकारी ही नहीं मिल पाई है!’
जीतू पटवारी ने सीएम से की मांग
उन्होने आगे लिखा कि ‘पिछले साल 26 जून को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में घुसकर एक बाघ का शिकार किया गया! यही नहीं शिकारी अपने साथ उसका सिर काटकर भी ले गए थे! क्या सरकार ने इस घटना से कोई सबक सीखा? प्रदेश सरकार को हमेशा याद रखना ही चाहिए कि वन्य जीव पर्यटन मप्र ही नहीं, देश-दुनिया में आकर्षण का सबसे बड़ा विषय है। अर्थव्यवस्था में फायदे के साथ यह प्रदेश की छवि को भी सीधे तौर पर प्रभावित करता है। सीएम मोहन यादव जी, आपसे अनुरोध है टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार रखने के साथ, नए टाइगर रिजर्व के चयन/क्रियान्वयन में तेजी लाई जाए। बाघों को बचाने/बढ़ाने की व्यक्तिगत निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय से की जाए। प्रत्येक तीन माह में सरकारी प्रयास का तथ्यात्मक विवरण सार्वजनिक भी किया जाए।’
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