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चंद्रयान-3 ने चांद की नई PHOTOS भेजीं,कल शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंड करेगा..
भारत का मून मिशन यानी चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को अपने तय समय पर यानी शाम 6:04 बजे ही चंद्रमा पर लैंड करेगा। मंगलवार (22 अगस्त) को ISRO ने मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि सभी सिस्टम्स को समय-समय पर चेक किया जा रहा है। ये सभी सही तरह से काम कर रहे हैं।
इसके साथ ही इसरो ने चांद की नई तस्वीरें शेयर की हैं, जो चंद्रयान-3 ने क्लिक की हैं। चंद्रयान ने 70 किमी की दूरी से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC) की मदद से ये तस्वीरें खींचीं हैं। चंद्रयान-3 फिलहाल चांद पर लैंडिंग के लिए सटीक जगह खोज रहा है। इसे 25KM की ऊंचाई से लैंड किया जाएगा।
चंद्रयान-3 से जुड़े दो अपडेट्स
- चंद्रयान-3 पर मजाकिया पोस्ट करने पर एक्टर प्रकाश राज पर कर्नाटक के बागलकोट जिले में हिंदू संगठनों के नेताओं ने केस दर्ज कराया है और उन पर कार्रवाई की मांग की है।
- मिशन की सफलता के लिए देश में जगह-जगह पर हवन कराए जा रहे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के वाराणसी का कामाख्या मंदिर, श्री मठ बाघंबरी गद्दी और महाराष्ट्र के मुंबई का चामुण्डेश्वरी शिव मंदिर शामिल है।
लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट सबसे मुश्किल होंगे
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से17 मिनट लगेंगे। इस ड्यूरेशन को ’15 मिनट्स ऑफ टेरर’ यानी ‘खौफ के 15 मिनट्स’ कहा जा रहा है। अगर भारत का चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल होता है तो वो चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।
चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी।
चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।
लैंडिंग के चार फेज होंगे:
1. रफ ब्रेकिंग फेज
- इस वक्त लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर होगा और स्पीड 1.6 Km/sec होगी।
- ये फेज 690 सेकेंड तक चलेगा। इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे।
- 690 सेकेंड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 358 m/sec और नीचे की तरफ 61 m/sec हो जाएगी।
2. ऑल्टिट्यूड होल्ड फेज
- विक्रम चांद की सतह की फोटो खींचेगा और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर करेगा।
- चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था अब इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया है।
- इस दौरान हॉरिजॉन्टल वेलॉसिटी 336 m/s और वर्टिकल वेलॉसिटी 59 m/s हो जाएगी।
3. फाइन ब्रेकिंग फेज
- ये फेज 175 सेकेंड तक चलेगा इसमें स्पीड 0 पर आ जाएगी।
- लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल हो जाएगी।
- सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी।
- विक्रम के सेंसर चालू किए जाएंगे और हाइट नापी जाएगी।
- फिर से फोटोज लिए जाएंगे और कंपेयर किया जाएगा।
4. टर्मिनल डिसेंट फेज
- अगले 131 सेकेंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आ जाएगा।
- लैंडर पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की तस्वीरें खींचेगा।
- विक्रम पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा।
- अगर सब सही है तो विक्रम 73 सेकेंड में चांद पर उतर जाएगा।
- अगर नो-गो की कंडीशन होगी तो 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा।
- फिर से सतह चेक करेगा और सब कुछ सही रहा तो लैंड कर जाएगा।
लैंडिंग के बाद क्या होगा?
- डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।
- फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा।
- विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की।
- इन फोटोज को पृथ्वी पर सेंड किया जाएगा।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच संपर्क स्थापित
इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने सोमवार को बताया कि उसने चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच संपर्क स्थापित कर दिया है। टू-वे कम्युनिकेशन के स्थापित होने के बाद ऑर्बिटर ने लैंडर से कहा- ‘स्वागत है दोस्त!’
चंद्रमा के फार साइड की तस्वीरें इसरो ने शेयर कीं
इसरो ने चंद्रमा की फार साइड यानी ऐसा इलाका जो पृथ्वी से कभी नहीं दिखता, की तस्वीरें शेयर की हैं। इसे चंद्रयान-3 में लगे लैंडर हैजर्ड डिटेक्शन एंड अवॉयडेंस कैमरे (LHDAC) से 19 अगस्त 2023 को खींचा गया है। यह कैमरा लैंडर को सेफ लैंडिंग एरिया लोकेट करने में मदद करेगा। यानी ऐसा इलाका जहां बड़े पत्थर और गड्ढे न हो।
चांद पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ेगा प्रज्ञान रोवर
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम. अन्नादुरई के मुताबिक 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे। यही समय सबसे क्रिटिकल होने वाला है।
इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
सब कुछ फेल हो जाए तब भी विक्रम लैंड करेगा
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था- ‘अगर सब कुछ फेल हो जाता है, अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम होगा।’
अब समझिए क्या है 15 Minutes of terror
चंद्रमा हमारी पृथ्वी 3,83,400 किलोमीटर दूर है। वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान की लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट काफी अहम होने वाले हैं। इन आखिरी क्षणों को 15 minutes of terror कहा जा रहा है।
दरअसल, स्पेस के अंतिम क्षणों को Last Minutes Of Terror कहा जाता है। इन लास्ट मिनट्स में लैंडिंग रोवर ग्रह की सतह पर लैंड करता है। इन 15 मिनट में लैंडर खुद से ही काम करता है। इस दौरान इसरो से कोई भी कमांड नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में यह समय काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। इस दौरान लैंडर को सही समय, सही ऊंचाई और सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल करते हुए लैंडिंग करनी होगी।
अब तक का चंद्रयान-3 का सफर…
इस मिशन को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है:
1. पृथ्वी से उसकी कक्षा तक का सफर
- 14 जुलाई को चंद्रयान पृथ्वी की 170 km x 36,500 km की ऑर्बिट में छोड़ा।
- 15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,762 km x 173 km की गई।
- 17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,603 km x 226 km की गई।
- 18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51,400 km x 228 km की गई।
- 20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71,351 x 233 Km की गई।
- 25 जुलाई को 5वीं बार ऑर्बिट बढ़ाकर 1,27,603 km x 236 km की गई।
2. पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा का सफर
- 31 जुलाई और 1 अगस्त की रात चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर बढ़ गया।
- 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की 164 Km x 18074 Km की कक्षा में प्रवेश किया।
3. चंद्रमा की कक्षा से लैंडिंग तक का सफर
- 6 अगस्त को चंद्रयान की ऑर्बिट पहली बार घटाकर 170 Km x 4313 Km की गई।
- 9 अगस्त को चंद्रयान की ऑर्बिट दूसरी बार घटाकर 174 km x 1437 km की गई।
- 14 अगस्त को चंद्रयान की तीसरी बार ऑर्बिट घटाकर 150 Km x 177 Km की गई।
- 16 अगस्त को चंद्रयान 153 Km X 163 Km की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया।
- 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया।
- 18 अगस्त को विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रोसेस से 113 x 157 Km की कक्षा में आ गया।
- 20 अगस्त को विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रोसेस से 25 x 134 Km की कक्षा में आ गया।
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