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एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी बनीं महामंडलेश्वर: किन्नर अखाड़े से मिली नई पहचान

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महाकुंभ में अद्भुत बदलाव

बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने अध्यात्म की ओर रुख करते हुए महाकुंभ 2025 में एक नई पहचान प्राप्त की। संगम तट पर उन्होंने पिंडदान कर अपने पुराने जीवन को अलविदा कहा और अब उन्हें ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा। यह पदवी उन्हें किन्नर अखाड़े की ओर से महामंडलेश्वर के रूप में दी गई है।


संगम तट पर पिंडदान का अनुष्ठान

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान ममता ने अपने पारंपरिक जीवन को त्यागने का ऐलान किया। उन्होंने संगम तट पर पिंडदान किया, जो उनके पुराने जीवन से नई शुरुआत की ओर इशारा करता है। इस अनुष्ठान के बाद उन्हें किन्नर अखाड़े द्वारा महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई।


किन्नर अखाड़े से मिली नई पहचान

किन्नर अखाड़ा, जो धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाकलापों में अद्वितीय भूमिका निभाता है, ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के पद पर स्थापित किया। इस सम्मान के बाद अब ममता आध्यात्मिक जीवन को समर्पित कर चुकी हैं। उनके नए नाम ममता नंद गिरि ने उन्हें आध्यात्मिक पथ पर और भी मजबूती प्रदान की है।


ममता कुलकर्णी का सफर: बॉलीवुड से अध्यात्म तक

ममता कुलकर्णी ने 90 के दशक में बॉलीवुड में कई हिट फिल्मों में काम किया। अपने ग्लैमरस और बोल्ड व्यक्तित्व के लिए मशहूर ममता ने फिल्मी करियर को अलविदा कहकर अध्यात्म का रास्ता चुना। यह परिवर्तन न केवल उनके लिए व्यक्तिगत यात्रा है, बल्कि उन लोगों के लिए भी प्रेरणा है जो जीवन में नई शुरुआत करना चाहते हैं।


किन्नर अखाड़े का महत्व

किन्नर अखाड़ा भारतीय आध्यात्मिकता और धर्म का एक अनोखा हिस्सा है, जो समाज में समानता और स्वीकृति का संदेश देता है। ममता का इस अखाड़े से जुड़ना इस बात का प्रतीक है कि धर्म और आध्यात्मिकता के द्वार सभी के लिए खुले हैं।

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प्रतिक्रिया और चर्चा

ममता कुलकर्णी के इस निर्णय ने समाज में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। कई लोग उनके इस कदम को सराहनीय मान रहे हैं, तो कुछ इसे उनके पुराने विवादित जीवन से बचने का प्रयास मानते हैं।


आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत

ममता नंद गिरि के रूप में उन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह से धर्म और आध्यात्मिकता के लिए समर्पित कर दिया है। उनका यह कदम दर्शाता है कि व्यक्ति किसी भी समय अपने जीवन को बदलने का निर्णय ले सकता है।


निष्कर्ष

बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर ममता का यह अध्यात्मिक परिवर्तन प्रेरणादायक है। किन्नर अखाड़े द्वारा महामंडलेश्वर की पदवी प्राप्त करने के बाद, उनकी यह यात्रा यह दर्शाती है कि आत्म-खोज की राह कभी भी शुरू की जा सकती है।

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