मध्य प्रदेश

सतना में तीन मंजिला इमारत गिरी, एक की मौत,पुराने पिलर-दीवार तोड़ते वक्त हुआ हादसा..

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सतना में मंगलवार रात करीब सवा 10 बजे एक तीन मंजिला इमारत गिर गई। मलबे में दबने से एक मजदूर की मौत हो गई। हादसे के वक्त बिल्डिंग में 8 लोग मौजूद थे। इनमें से 5 पहले ही बाहर निकल गए। दो को रेस्क्यू टीम ने निकाला। एक मजदूर मलबे में ही दबा रह गया था, जिसका शव 5 घंटे बाद करीब साढ़े 3 बजे निकाला जा सका।

पुलिस के मुताबिक, छत्तुमल सबनानी की बिहारी चौक स्थित इस तीन मंजिला बिल्डिंग में रेडीमेड कपड़ों की दुकान और साड़ियों का शोरूम था। ऊपरी मंजिल पर रिनोवेशन का काम चल रहा था। इसी दौरान बिल्डिंग गिर गई। हादसे में दुकान मालिक, उसके दो बेटे, मिस्त्री और मजदूर घायल हो गए। सांसद गणेश सिंह, विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा और महापौर योगेश ताम्रकार के साथ कई व्यापारी भी मौके पर पहुंचे।

रात में हो रहा था बिल्डिंग के रिनोवेशन का काम

पुलिस ने बताया कि छत्तुमल सबनानी का बेटा नरेंद्र साबनानी उर्फ पिंकी पिछले कई दिनों से इस बिल्डिंग में तोड़फोड़ और रिनोवेशन का काम करा रहा था। मंगलवार रात 2 मिस्त्री और 3 मजदूर काम कर रहे थे। एक मिस्त्री दीवार जोड़ रहा था, जबकि दूसरा मिस्त्री एक मजदूर के साथ बीम काट रहा था। एक मजदूर सीढ़ी के पास काम कर रहा था। नरेंद्र भी अपने बेटों हितेश और नीतेश के साथ इस बिल्डिंग के पिछले हिस्से में मौजूद था।

बेटों के साथ चुपचाप अस्पताल पहुंचा शोरूम मालिक

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काम के दौरान तेज आवाज के साथ बिल्डिंग के आगे का हिस्सा स्लैब सहित भरभराकर गिर गया। हादसा होते ही नरेंद्र अपने दोनों बेटों के साथ पीछे से बाहर निकल गए। उनके साथ रामदेव नाम का मिस्त्री भी निकल गया। चारों बिना किसी से कुछ कहे सीधे जिला अस्पताल पहुंच गए। नरेंद्र ने हादसे की जानकारी न तो पुलिस प्रशासन को दी, न ही किसी और को।

तीन घायल और एक का शव निकाला

बिल्डिंग के गिरने से इलाके में हड़कंप मच गया। लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ एसडीईआरएफ की टीम पहुंची। नगर निगम की जेसीबी मंगवाई गई। रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ। इसी बीच सोनू कोल नाम के मजदूर को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। सोनू खुद एम्बुलेंस में जाकर बैठ गया। भीषण हादसे के बाद भी उसे मामूली चोट आई है। उसके भीतर इतनी दहशत थी कि वह सिर्फ रोए जा रहा था।

करीब 3 घंटे बाद छोटे नाम के मिस्त्री तक भी रेस्क्यू टीम पहुंच गई। वह बिल्डिंग के पिछले हिस्से में फंसा था। उसे बाहर निकाल कर अस्पताल भेजा गया। उसके पैर और कूल्हे में चोट आई है। छोटे ने बाहर निकलते ही उसके साथ काम कर रहे उसके बेटे बालेंद्र के बारे में पूछा। बालेंद्र के मोबाइल पर संपर्क किया गया। उसने बताया कि हादसे के वक्त वह बाहर खड़ा था। उसे भी चोट आई है। डर के कारण वह भाग गया।

छत्तुमल के साथ अस्पताल पहुंचे मिस्त्री रामदेव ने एक मजदूर के मलबे में दबे होने की आशंका जताई। रेस्क्यू टीम उस लापता मजदूर ढूंढने में लगी रही। रात लगभग साढ़े 3 बजे मजदूर का शव मलबे में दबा मिला।

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बिल्डिंग मालिक ने नहीं दी पुलिस को सूचना

रात लगभग 2 बजे तक पुलिस इस बात से बेखबर थी कि नरेंद्र अस्पताल पहुंच चुका है। लोगों का कहना है कि नरेंद्र हादसे के तुरंत बाद पुलिस को सूचना दे देता कि कितने लोग कहां दबे हैं तो रेस्क्यू जल्दी शुरू हो जाता और शायद मजदूर की जान बच जाती।

पुरानी बिल्डिंग में तोड़फोड़ बनी हादसे की वजह

नरेंद्र ने पुरानी बिल्डिंग के पिलर और बीम तुड़वा दिए थे। मोटी दीवारों को भी तुड़वा कर 4 इंच की दीवार बनवा रहा था। वह एक सीढ़ी भी बनवा रहा था। लोगों का कहना है कि भारी भरकम बिल्डिंग का लोड नहीं संभला और इमारत धराशायी हो गई। पिछले दिनों इसी तोड़फोड़ को लेकर नरेंद्र का पड़ोसी दुकानदारों से विवाद भी हुआ था। आसपास के दुकानदारों ने तभी हादसे को लेकर अंदेशा जताई थी, लेकिन नरेंद्र नहीं माना था।

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