छत्तिश्गढ़
माओवादियों ने की महिला सरपंच पति की हत्या हथियारबंद नक्सलियों ने धारदार हथियार से रेता गला..
बिलासपुर में साधारण मारपीट के केस में अपने भाई के साथ मारपीट करने के आरोपी युवक को जेल भेजने के लिए स्काई अस्पताल के मैनेजर की साजिश सामने आई है। जिस स्काई हॉस्पिटल में युवक का भाई का काम करता था, वहां उसने डॉक्टरों की जानकारी के बिना ही संचालक से मिलीभगत कर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर थाने में पेश कर दिया, जिसके आधार पर पुलिस ने हत्या के प्रयास का केस दर्ज कर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
हैरानी की बात है कि जब मेडिकल रिपोर्ट तैयार किया गया, उस समय अस्पताल ही बंद हो गया। अब पुलिस ने इस केस में स्काई हास्पिटल प्रबंधन को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगा है। ताकि, फर्जी मेडिकल रिपोर्ट की जांच की जा सके। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है।
दरअसल, सिविल लाइन पुलिस ने कुछ समय पहले सरकंडा के जबड़ापारा निवासी शक्ति सिंह ठाकुर को हत्या के प्रयास केस में जेल भेज दिया। शक्ति सिंह की मां और कांग्रेस नेत्री आशा सिंह उस समय शहर से बाहर थीं। वापस आने पर उन्होंने बेटे के जेल जाने की जानकारी जुटाई, तब पुलिस और अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत का मामला सामने आया। उन्होंने बताया कि साधारण मारपीट के दस माह पुराने केस में पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोप में धारा 307 जोड़ कर यह कार्रवाई की है। इसमें स्काई अस्पताल के डॉक्टरों की मर्जी और जानकारी के बिना ही फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने का मामला भी सामने आया है।
उन्होंने बताया कि स्काई हॉस्पिटल के मैनेजर अंकित दुबे के भाई उत्कर्ष दुबे और शक्ति सिंह के बीच राजेंद्र नगर चौक में मारपीट हुई थी। शुरुआत में ही साधारण मारपीट की इस घटना में गैरजमानतीय धारा जोड़ने के लिए पहले दबाव बनाया गया। इसमें सफलता नहीं मिलने पर फर्जी मेडिकल बनाने का यह फर्जीवाड़ा किया गया।
आशा सिंह ने बताया कि अस्पताल के मैनेजर अंकित दुबे ने अपने भाई उत्कर्ष दुबे का फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने के लिए अस्पताल संचालक डॉ. पलक जायसवाल से सांठगांठ किया। दोनों ने मिलकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव सकूजा और न्यूरो सर्जन डॉ. नरेश कृष्णानी का फर्जी हस्ताक्षर किया और सील लगाकर थाने में जमा कर दिया। इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद दोनों डॉक्टरों ने उनके खिलाफ सरकंडा थाने में केस दर्ज कराया है, जिसकी पुलिस जांच कर रही है।
आशा सिंह ने आरोप लगाया है कि जिस स्काई हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उनके बेटे शक्ति सिंह को जेल भेजा गया था वह स्काई हॉस्पिटल बंद हो गया है। हॉस्पिटल की संचालिका और शहर की प्रसिद्ध समाजसेविका डॉ. पलक जायसवाल थीं। पलक जायसवाल ने स्काई हॉस्पिटल को जनवरी 2022 से मई 2022 तक संचालिल कर रहीं थीं। इसके बाद अस्पताल बंद हो गया। उनका आरोप है कि समाजसेवी विजडम ट्री फाउंडेशन की प्रमुख डॉ.जायसवाल भी इस केस में शामिल हो सकती हैं। क्योंकि, अपने मैनेजर के भाई के लिए उनके ही अस्पताल से फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाया गया है।
सिविल लाइन TI परिवेश तिवारी का कहना है कि मारपीट के केस में पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर धारा 307 जोड़कर कार्रवाई की। जांच के दौरान पता चला कि निजी हॉस्पिटल के संबंधित डॉक्टर ने क़ोई रिपोर्ट नहीं दिया है। बल्कि उनके हस्ताक्षर और सील फर्जी हैं। यह एक तरह से अपवाद केस है। लिहाजा, मामले में विधिक सलाह लेकर कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर केस से संबंधित मूल दस्तावेज की मांग के लिए स्काई अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है, जो अभी तक नहीं मिला है। दस्तावेज हासिल करने के बाद ही मेडिकल रिपोर्ट के फर्जी होने की पुष्टि हो सकेगी। प्रकरण में पुलिस की जांच जारी है।
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