मध्य प्रदेश
भोपाल मेट्रो के अंडरग्राउंड रूट पर मिट्टी की टेस्टिंग,प्लेटफार्म नंबर-6 पर बनेगा स्टेशन; यहीं से जमीन के अंदर से गुजरेगी मेट्रो
भोपाल मेट्रो के अंडरग्राउंड रूट पर मिट्टी की टेस्टिंग का काम शुरू हो गया है। इस रूट पर भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-6 पर मेट्रो स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। मेट्रो की यह लाइन जमीन के नीचे से गुजरेगी, जिसके लिए मिट्टी की टेस्टिंग जरूरी है ताकि भविष्य के निर्माण और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखा जा सके। यह अंडरग्राउंड रूट शहर के महत्वपूर्ण हिस्सों को जोड़ेगा, और इससे मेट्रो नेटवर्क को और विस्तार मिलेगा। मेट्रो परियोजना के तहत तेजी से काम हो रहा है, और शहरवासियों को इसका लाभ जल्द मिलने की उम्मीद है।
भोपाल में मेट्रो के 3.39 किलोमीटर लंबे अंडरग्राउंड रूट के लिए मिट्टी की टेस्टिंग शुरू हो चुकी है। अगले एक महीने के भीतर यह टेस्टिंग पूरी कर ली जाएगी। इस प्रक्रिया में यह जांच की जाएगी कि जमीन कितनी पथरीली है, और उसमें पानी की मात्रा कितनी है, ताकि मेट्रो का निर्माण सुरक्षित और सुचारू रूप से किया जा सके। टेस्टिंग के परिणामों के आधार पर अंडरग्राउंड रूट पर आगे का काम शुरू किया जाएगा। यह रूट भोपाल के प्रमुख स्थानों को जोड़ेगा और शहर के यातायात में एक बड़ा सुधार लाने की उम्मीद है।
भोपाल मेट्रो के 3.39 किलोमीटर लंबे अंडरग्राउंड रूट के लिए वर्तमान में मिट्टी की टेस्टिंग की जा रही है। यह टेस्टिंग प्रक्रिया मेट्रो निर्माण के लिए बेहद महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि इसके जरिए जमीन की संरचना का गहराई से अध्ययन किया जाता है।
मिट्टी की टेस्टिंग: उद्देश्य और प्रक्रिया
बोरहोल ड्रिलिंग: मिट्टी की गहराई और उसकी गुणवत्ता को समझने के लिए भूगर्भीय इंजीनियर जमीन में छेद (बोरहोल) करते हैं। इससे अलग-अलग गहराई से मिट्टी के नमूने निकाले जाते हैं।
भूगर्भीय अध्ययन: इस टेस्टिंग का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि अंडरग्राउंड रूट के नीचे की जमीन कैसी है। इसमें विशेष रूप से यह जांचा जाता है कि मिट्टी में कितनी पथरीली या चट्टानी सतह है और कितना पानी उपस्थित है।
पथरीली जमीन की जाँच: यह देखा जाता है कि जमीन कितनी ठोस है, ताकि मेट्रो टनल का निर्माण सुरक्षित तरीके से हो सके।
पानी की उपस्थिति: जमीन के भीतर पानी का स्तर मेट्रो निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अत्यधिक पानी होने से निर्माण कार्य में चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, और इसे ध्यान में रखते हुए विशेष तकनीकों का उपयोग करना पड़ सकता है।
टेस्टिंग के तरीके:
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