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पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा का दूसरा दिन,रुक-रुक कर आगे बढ़े रहे हैं बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ, आज गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे

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53 सा

इस साल तिथियां घटने से आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में 15 नहीं, 13 ही दिन थे। इस वजह से भगवान के ठीक होने का 16वां दिन यानी आषाढ़ शुक्ल द्वितीया पर था। इसी तिथि पर रथयात्रा भी निकाली जाती है।

7 जुलाई को दिनभर भगवान के ठीक होने के बाद की पूजन विधियां चलीं। इसी दिन रथयात्रा भी निकलना जरूरी था, क्योंकि ये तिथि टाली नहीं जाती है। इस वजह से 7 जुलाई की शाम को ही रथयात्रा शुरू की गई।

यात्रा सूर्यास्त तक ही निकाली जाती है। इसलिए रविवार शाम जगन्नाथ जी का रथ दिन ढलने से कुछ मिनट पहले ही खींचा गया था और सूर्यास्त होने के बाद यात्रा रोक दी गई। इस दौरान रथ सिर्फ 5 मीटर ही खींचा गया।

पहले दिन 5 मीटर ही आगे बढ़ा भगवान जगन्नाथ का रथ

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रथयात्रा के पहले दिन दिन ढलने से ठीक पहले जगन्नाथ का रथ खींचा और सिर्फ 5 मीटर आगे बढ़ने के बाद रुक गया, क्योंकि सूर्यास्त के बाद रथ आगे नहीं बढ़ते हैं।

ल बाद इस बार पुरी की रथयात्रा दो दिनों की है। सोमवार 8 जुलाई को यात्रा के दूसरे दिन मंगला आरती और भोग के बाद यात्रा दोबारा शुरू हो गई है। तीनों रथ रुक-रुक कर आगे बढ़ रहे हैं। आज यात्रा गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएगी।

कल (रविवार) यात्रा का पहला दिन था। शाम 5 बजे के बाद शुरू हुई रथयात्रा सूर्यास्त के ही साथ रोक दी गई थी, भगवान जगन्नाथ का रथ सिर्फ 5 मीटर ही आगे बढ़ा था।

इस साल रथ यात्रा दो दिन क्यों?

जगन्नाथ मंदिर के पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद के मुताबिक, हर साल जगन्नाथ रथयात्रा एक दिन की होती है, लेकिन इस बार 53 साल बाद यात्रा दो दिन की है। इससे पहले 1971 में यह यात्रा दो दिन की थी। तिथियां घटने की वजह से यात्रा दो दिन चल रही है।

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दरअसल, हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को स्नान करवाया जाता है। इसके बाद वे बीमार हो जाते हैं और आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष के 15 दिनों तक वे बीमार रहते हैं, इस दौरान वे दर्शन भी नहीं देते है।

16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है और नवयौवन के दर्शन होते हैं। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल द्वितिया से रथयात्रा शुरू होती है।

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