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नेपाल में 6.4 तीव्रता का भूकंप, 141 की मौत,पश्चिम रुकुम-जाजरकोट सबसे ज्यादा प्रभावित; दिल्ली-NCR, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भी असर रहा..
नेपाल में शुक्रवार रात करीब 11 बजकर 32 मिनट पर 6.4 तीव्रता का भूकंप आया। उस समय 37 लोगों के मौत की खबर आई। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, सुबह तक यह आंकड़ा 141 पहुंच गया। सैकड़ों घरों के नुकसान की भी खबर है। हालांकि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं आया है।
नेपाली मीडिया के मुताबिक, भूकंप का केंद्र काठमांडू से 331 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में 10 किमी जमीन के नीचे था। जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिले में भूकंप का असर सबसे ज्यादा देखा गया। यहां अब तक 105 और 36 लोगों की मौत हो चुकी है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड हालात का जायजा लेने जाजरकोट पहुंच चुके हैं।
भूकंप का असर भारत में भी देखने को मिला। दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार की राजधानी पटना में झटके महसूस किए गए। हालांकि भारत में किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।
PM मोदी ने कहा- मुश्किल घड़ी में हम नेपाल के साथ
नेपाल के PM पुष्प कमल दहल प्रचंड ने तीनों सिक्योरिटी एजेंसियों को रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटने के निर्देश दिए हैं। वहीं PM मोदी ने भी नेपाल के भूकंप मरने वाले लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्ति की हैं। उन्होंने मुश्किल घड़ी में नेपाल की मदद करने का भरोसा जताया।
2015 में आए भूकंप से काठमांडू 10 फीट तक खिसक गया था
नेपाल में साल 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। इस दौरान करीब 9 हजार लोग मारे गए थे। इस भूकंप ने देश के भूगोल को भी बिगाड़ दिया था।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के टैक्टोनिक एक्सपर्ट जेम्स जैक्सन ने बताया कि भूकंप के बाद काठमांडू के नीचे की जमीन तीन मीटर यानी करीब 10 फीट दक्षिण की ओर खिसक गई।
हालांकि दुनिया की सबसे बड़ी पर्वत चोटी एवरेस्ट के भूगोल में किसी बदलाव के संकेत नहीं हैं। नेपाल में आया यह भूकंप 20 बड़े परमाणु बमों जितना शक्तिशाली था।
बिहार में पटना समेत आरा, दरभंगा, गया, वैशाली, खगड़िया, सिवान, बेतिया, बक्सर, बगहा, नालंदा, नवादा 11 जिलों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप के दौरान करीब एक मिनट तक धरती हिलती रही। कई आफ्टर शॉक्स भी महसूस किए गए। सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल और दरभंगा के कुछ हिस्से जोन 5 में आते हैं, जो बेहद खतरनाक हैं। राजधानी पटना सहित बिहार के बाकी हिस्से जोन 4 में आते हैं, जहां भूकंप का खतरा कम रहता है।
MP के भोपाल, जबलपुर में भी झटके महसूस: राज्य के भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सतना और रीवा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। प्रदेश के आगर मालवा और मुरैना जिले के कुछ हिस्सों में भी धरती में कंपन महसूस किया गया।
भूकंप क्यों आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
एक्सपर्ट का दावा- अरावली पर्वतमाला की दरार एक्टिव हुई, आते रहेंगे भूकंप
भूगोल के जानकार डॉ. राजेंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार अरावली पर्वतमाला के पूर्व में एक भ्रंश रेखा (दरार) है। यह भ्रंश रेखा राजस्थान के पूर्वी तट से होते हुए धर्मशाला तक जा कर मिलती है। इसमें राजस्थान के जयपुर, अजमेर, भरतपुर इलाके शामिल हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि अरावली पहाड़ में जो दरारें हैं, उनमें हलचल शुरू हो चुकी है। अब ऐसे भूकंप के झटके जयपुर समेत इससे सटे हुए अन्य इलाकों में भी आते रहेंगे। जयपुर जोन-2 और पश्चिमी राजस्थान जोन-3 में आता है। इसमें सामान्य भूकंप के झटके आते हैं।
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