छत्तिश्गढ़
निजी कॉलेजों में डॉक्टरी की फीस नहीं होगी सरकारी जैसी, प्राइवेट एमबीबीएस-6.41, पीजी- 8.5 लाख रु. हर साल लगेंगे
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने देशभर के निजी मेडिकल कॉलेजों में पीजी व एमबीबीएस की आधी सीटों की फीस सरकारी कॉलेज के बराबर करने का नोटिफिकेशन कुछ अरसा पहले जारी किया गया था। मध्यप्रदेश ने सभी निजी कॉलेजों को इसके लिए नोटिस भी दे दिया था, लेकिन तीन राज्यों मध्यप्रदेश, केरल व तमिलनाडु में इस मामले पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है। इस वजह से निजी मेडिकल कालेजों की आधी सीटों की फीस सरकार के बराबर करने का नियम लागू नहीं हो पाएगा।
असर को इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर फीस सरकार के बराबर हो जाती तो निजी कॉलेजों में एमबीबीएस करने वाले छात्रों को साढ़े 4 साल की फीस केवल ढाई लाख व पीजी के तीन साल के कोर्स की फीस 60 हजार रुपए ही देनी होती। अब उन्हें निजी कॉलेजों में सालाना फीस 6.01 लाख से लेकर 6.41 लाख रुपए देनी होगी। अब उन्हें एमबीबीएस के साढ़े 4 साल के कोर्स की फीस 27.04 लाख से 28.84 लाख तथा पीजी की तीन साल की फीस 15 लाख से 25.5 लाख रुपए तक देनी होगी।
प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 189 व दो कॉलेजों में पीजी की 45 सीटें हैं। पीजी में एडमिशन के लिए दो चरण व एमबीबीएस में एक चरण की काउंसिलिंग हो चुकी है। एनएमसी ने इसी साल अगस्त में नोटिफिकेशन जारी कर निजी कॉलेजों में स्टेट कोटे की 42.5 फीसदी सीटों की फीस सरकारी कॉलेज जैसे करने को कहा था।
निजी कॉलेजों में 42.5-42.5 फीसदी सीटें स्टेट व मैनेजमेंट कोटे की तथा 15 फीसदी सीटें एनआरआई के लिए आरक्षित रहती हैं। प्रदेश के तीन निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की 450 सीटें हैं, इसमें 42.5 फीसदी सीटें 189 होती है। सरकारी फीस से मैनेजमेंट व एनआरआई कोटे की सीटों को अलग रखा गया है।
सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस सालाना 50 हजार व पीजी की 20 हजार रुपए है। यही फीस निजी कॉलेजों को लेनी थी, लेकिन दूसरे राज्यों के स्टे के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस संबंध में निजी कॉलेजों के लिए आदेश ही जारी नहीं किया।
दरअसल देशभर के किसी भी मेडिकल कॉलेज में यह नियम इस सत्र से लागू नहीं हो पा रहा है। गौरतलब है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 7 मार्च को जनऔषधि दिवस पर निजी मेडिकल कॉलेजों की आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर फीस लेने की घोषणा की थी। इसके बाद ही एनएमसी ने देशभर में नोटिफिकेशन जारी किया था।
मध्यप्रदेश में निजी कॉलेजों की याचिका पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया है। निजी कॉलेजों ने सवाल उठाया है कि अगर सरकारी कॉलेजों की फीस पर एडमिशन दें तो कॉलेज का संचालन कैसे करें। कम फीस में उन्हें काफी नुकसान होगा। अगर यह नियम लागू किया जाता है तो स्टेट कोटे के लिए नए सिरे से फीस का निर्धारण किया जाए। हाईकोर्ट ने मामले में सरकार से जवाब भी मांगा है।
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