छत्तिश्गढ़
धरने के बीच टीचर फांसी लगाने लगा..
राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना प्रदर्शन स्थल में एक बड़ी दुर्घटना होने से टल गई। यहां सरकारी नौकरी पाने के लिए धरना दे रहे एक शिक्षक धरमा जांगड़े ने खुद को रस्सी के सहारे फांसी पर लटका लिया। आनन-फानन में वहां ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने दौड़कर उन्हें फंदे से उतारा। जिसके बाद उनका मेडिकल जांच कराया गया। फिलहाल उनकी हालत अब सामान्य है।
शिक्षक धरमा जांगड़े जांजगीर-चांपा के रहने वाले हैं। यहां सैकड़ों शिक्षक दो दिन से धरना और भूख हड़ताल के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। औपचारिकेत्तर शिक्षकों का कहना है कि, वे बेरोजगारी और गरीबी की डबल मार से जूझ रहे हैं। उनके पास जीवन चलाने का कोई विकल्प नहीं है। जानकारी मिली है कि जांच करने पर पुलिस को बोतलों में पेट्रोल भी मिला है। जिसे संघ के कुछ सदस्य आत्महत्या करने के उद्देश्य से लाये थे।
दरअसल अविभाजित मध्य प्रदेश के समय औपचारिकेत्तर शिक्षकों द्वारा दूर अंचल के गांवों और जंगलों में बच्चों को पढ़ाया जाता था। यह शिक्षक उन जगहों में पढ़ाते थे जहां स्कूल का इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बना रहता था। ये शिक्षक बच्चों को पेड़ों के नीचे, मैदानों,गांव के चौराहों में टाटपट्टी और ब्लैक बोर्ड लगाकर शिक्षा की कमान संभाले हुए थे। सरकार द्वारा इन्हें 300-500 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से मानदेय देती थी, और साल 2000 में जब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हुआ तो ये शिक्षक बेरोजगार हो गये। नए राज्य छत्तीसगढ़ में इन्हें परमानेंट शिक्षक के पदों पर नियुक्ति नहीं मिली।
दैनिक भास्कर को संघ के अध्यक्ष टिकेश्वर यादव ने बताया कि, मामला 2010 में हाईकोर्ट में पहुंचा तो न्यायालय ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसमें सरकार को कोर्ट ने इन्हें नौकरी देने के लिये आदेश दिया। लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ। टिकेश्वर यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के समय 5 हजार के लगभग शिक्षक थे जो अब घटकर 4500 हो गए हैं। सरकार ने अब तक उनके लिये कोई निर्णय नहीं लिया हैं।
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