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दिल्ली सीएम के PA की जमानत याचिका खारिज,मालीवाल ने कहा था- ​​​बिभव का रसूख मंत्रियों जैसा, उसे बेल मिली तो मुझे खतरा

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दिल्ली सीएम के PA की जमानत याचिका खारिज,मालीवाल ने कहा था- ​​​बिभव का रसूख मंत्रियों जैसा, उसे बेल मिली तो मुझे खतरा February 5, 2025

स्वाति मालीवाल से मारपीट केस में सोमवार 27 मई को अरविंद केजरीवाल के PA बिभव कुमार की जमानत याचिका तीस हजारी कोर्ट ने खारिज कर दी। बिभव ने 25 मई को कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान स्वाति भी कोर्ट में मौजूद रहीं।

बिभव के वकील हरिहरन ने सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि जब सेंसिटिव बॉडी पार्ट्स पर चोट के निशान नहीं मिले तो गैर इरादतन हत्या की कोशिश का सवाल ही नहीं है। न ही बिभव का स्वाति को निर्वस्त्र करने का कोई इरादा था। ये चोटें खुद को पहुंचाई जा सकती हैं।

बिभव के वकील ने यह भी कहा कि पुराने जमाने में ऐसे आरोप कौरवों पर लगे थे, जिन्होंने द्रौपदी का चीरहरण किया था। स्वाति ने यह FIR पूरी प्लानिंग करके 3 दिन बाद दर्ज कराई है।

ये दलीलें सुनकर स्वाति कोर्ट रूम में ही रो पड़ीं। स्वाति ने बताया कि बिभव कोई आम आदमी नहीं है, वह मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाएं इस्तेमाल करता है। उसे जमानत मिली तो मुझे खतरा होगा।

बिभव के वकील बोले- केवल जमानत मांगी, बरी करने की अपील नहीं की कोर्ट में बिभव के वकील ने कहा कि CM हाउस से CCTV पहले ही बरामद कर लिया गया है, इसलिए उसमें टेम्परिंग या छेड़छाड़ का कोई सवाल ही नहीं है। पुलिस जांच के लिए बिभव पहले दिन से मौजूद रहे हैं। हम केवल जमानत की मांग कर रहे हैं, बरी करने के लिए हमारी अपील नहीं है।

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स्वाति का दावा- बिभव की जमानत से मुझे और मेरे परिवार को खतरा
स्वाति मालीवाल ने कोर्ट को बताया कि मेरा बयान दर्ज करने के बाद APP नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मुझे BJP का एजेंट कहा गया। उनके पास एक बड़ी ट्रोल मशीनरी है, उन्होंने मशीनरी को पंप किया है। आरोपी को पार्टी के नेता ही मुंबई ले गए। अगर उसे जमानत पर रिहा किया गया तो मुझे और मेरे परिवार को खतरा होगा।

बिभव सरकारी कर्मचारी के साथ मारपीट के मामले में बर्खास्त हुए
मार्च 2024 में बिभव को CM के पर्सनल सेक्रेटरी के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। स्पेशल सेक्रेटरी विजिलेंस वाईवीवीजे राजशेखर ने आदेश जारी कर कहा था कि बिभव की सेवाएं तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई हैं। उनकी नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया गया। इसलिए ये नियुक्ति अवैध और शून्य करार दी जाती है। राजशेखर ने ये आदेश 2007 के एक मामले के आधार पर दिया।

दरअसल, 2007 में बिभव पर एक सरकारी अधिकारी के साथ कथित तौर पर मारपीट का आरोप लगा था। नोएडा विकास प्राधिकरण में तैनात महेश पाल ने बिभव पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता (एक पब्लिक सर्वेंट) को उसकी ड्यूटी करने से रोका, उसे गाली और धमकी दी। महेश ने 25 जनवरी 2007 को नोएडा सेक्टर-20 के पुलिस थाने में इसकी शिकायत दर्ज करवाई थी। इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से भी एक्शन लिया गया था।

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