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शिक्षा

टीचर्स डे पर देश के 75 शिक्षकों को राष्ट्रपति सम्मान..

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टीचर्स डे के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशभर के 75 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड-2023 से सम्मानित किया। दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए कार्यक्रम में सभी शिक्षकों को पुरस्कार में 50 हजार रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र, शॉल, श्रीफल दिया गया।

राजस्थान: राज्य की दो टीचर्स को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। एक अलवर जिले की आशा सुमन और दूसरी जोधपुर में प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा हैं।

अलवर जिले की आशा सुमन साल 2005 से बच्चों को बारहखड़ी और एबीसीडी (एल्फाबेट) सिखा रही हैं। 2014 में राजगढ़ के खरखड़ा गांव के सरकारी स्कूल के पास एक मूक-बधिर लड़की से खेत में रेप किया गया। इस घटना के बाद उन्होंने मूक-बधिर बेटियों को आत्मरक्षा के लिए तैयार करने का फैसला लिया।

इसके लिए आशा सुमन ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली। साल 2015 में उन्होंने मूक-बधिर लड़कियों और स्कूली छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना शुरू किया। अब तक वो 190 मूक बधिर लड़कियों, 6 हजार स्कूली छात्राओं, 2 हजार महिला टीचर्स और 246 पुरुष टीचर्स को सेल्फ डिफेंस में ट्रेंड कर चुकी हैं।

2. जोधपुर : 8 साल बाद जिले की किसी शिक्षक को राष्ट्रपति अवॉर्ड

जोधपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल बावड़ी की प्रिंसिपल डॉ. शीला बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड तक सीमित नहीं रहीं। 5 साल की कड़ी मेहनत कर उन्होंने 35 मिनट की डिजिटल बुक तैयार कराई है। इसमें साइन लैंग्वेज से बच्चों को शब्द ज्ञान कराया जाता है।

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इस डिजिटल बुक में एनिमेटेड चित्रों के जरिए चैप्टर को समझाया गया है। इस बुक को अब राजस्थान के 10 हजार से ज्यादा निजी व सरकारी स्कूलों के 10 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों की लर्निंग स्किल बेहतर हुई है। अब उन्हें राष्ट्रपति से नेशनल टीचर अवॉर्ड मिल रहा है। जोधपुर की किसी टीचर को यह राष्ट्रपति अवॉर्ड 8 साल बाद मिला है। इससे पहले 2015 में कल्पना दाधीच, 2014 में प्रिंसिपल अनिल कुमारी राठौड़ व शिक्षिका मीना जांगिड़ को यह अवॉर्ड मिला था

फतेहपुर के प्राथमिक विद्यालय अस्ती में आसिया के आने से पहले भी कई अध्यापकों की पोस्टिंग हुई, लेकिन ज्यादा दिन तक कोई भी टिक नहीं सका। यह स्कूल शराबियों का अड्डा था। यहां नशेड़ी जुआ खेलते थे और बाकी बची जगह में लोग अपने जानवर बांधते थे। आसिया ने स्कूल पहुंचकर सबसे पहले शराबियों से लड़कर उन्हें हटाया और जर्जर स्कूल को अच्छा बनाया। उन्होंने विद्यालय को सजाने के लिए अपनी आधी सैलरी तक दे डाली। आज स्कूल में 5 की जगह 250 बच्चे पढ़ रहे हैं। इन्हीं सब कामों के लिए आसिया को ये सम्मान मिला।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले यूपी के दूसरे टीचर बुलंदशहर के शिवकुमार जनता इंटर कॉलेज के चंद्र प्रकाश अग्रवाल हैं। चंद्र प्रकाश ने अपने विद्यालय को जिले का पहला हाईटेक स्कूल बना दिया। कॉलेज में लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। साथ ही विद्यालय की अपनी वेबसाइट भी है। स्कूल का अपना मोबाइल ऐप भी है। इसके साइंस स्टूडेंट्स के लिए ‘आर्यभट्ट खगोलीयशाला’ नाम की स्पेस लैब भी है। जहां बच्चों को खगोलीय शिक्षा के साथ प्रैक्टिकल साइंस के बारे में जानकारी मिलती है।

3. मेरठ: सुधांशु ने बच्चों में मॉडर्न लर्निंग स्किल बढ़ाई

मेरठ के केएल इंटरनेशनल स्कूल के सुधांशु शेखर को भी सम्मानित किया गया। सुधांशु इकोनॉमिक्स के विशेषज्ञ हैं। साल 2013 से वह केएल इंटरनेशनल स्कूल में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हैं। साथ ही CBSE बोर्ड में सिटी कोऑर्डिनेटर भी हैं। सुधांशु को बच्चों में रोचक तरीके से लर्निंग स्किल्स डेवलप करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। पूरी खबर पढ़ें…

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छत्तीसगढ़: राष्ट्रपति के हाथों दो शिक्षकों को सम्मान
छत्तीसगढ़ के चतरा जिले के मो. एजाजुल हक और कोडरमा स्थित सैनिक स्कूल के मनोरंजन पाठक को भी राष्ट्रपति सम्मान दिया गया। मो. एजाजुल हक ने चतरा में गरीब बच्चों के लिए रात्रि पाठशाला चलाई। वहीं, मनोरंजन पाठक देश के 27 सैनिक स्कूल में से इकलौते शिक्षक हैं, जिनका इस अवॉर्ड के लिए चयन हुआ है। कोरोना काल के दौरान जब स्कूल बंद था, उस समय ऑनलाइन क्लास के जरिए मनोरंजन पाठक ने बच्चों को चरित्र निर्माण और राष्ट्रसेवा की सीख दी। 

हरियाणा: सत्यपाल राज्य के इकलौते टीचर, जिन्हें यह सम्मान मिला
राज्य के रेवाड़ी जिले के टीचर सत्यपाल सिंह कक्षा तीसरी से लेकर 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए किताबें भी लिख चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में 45 विद्यार्थियों का राष्ट्रीय साधन एवं योग्यता छात्रवृत्ति परीक्षा यानी (NMMS) के लिए चयन हुआ है। वहीं, खुद के खर्च पर 3 राज्य स्तरीय विज्ञान प्रयोगशालाएं उनके द्वारा तैयार कराई जा चुकी है

हिमाचल प्रदेश के इकलौते शिक्षक विजय कुमार राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किए गए। विजय कांगड़ा जिले के मोहटली स्कूल में गणित के लेक्चरर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने इसी स्कूल से अपनी 10वीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी है। पिछले 5 साल में विजय कुमार का एक भी छात्र फेल नहीं हुआ, बल्कि उनमें से 70 फीसदी छात्रों ने 75% से ज्यादा अंक हासिल किए हैं।

मध्यप्रदेश के पांच शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें इंदौर की चेतना खंबेटे, भोपाल के यशपाल सिंह, दतिया के रविकांत मिश्रा, रतलाम की सीमा अग्निहोत्री और नर्मदापुरम की सारिका घारू शामिल हैं।

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