राजस्थान
बच्चों में खांसी-जुकाम की परेशानी बढ़ी, कोरोना हुआ तो घातक…
जयपुर समेत राजस्थान के कई शहरों में इन दिनों छोटे बच्चों में लंबे समय तक खांसी, जुकाम और बुखार रहने की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। सामान्य वायरल इन्फेक्शन में मरीज 4-6 दिन में ठीक हो जाते हैं, लेकिन इन दिनों कई बच्चे ऐसे हैं, जिनमें खांसी, जुकाम की दिक्कत 10 से 15 दिन में भी ठीक नहीं हो पा रही है।
डॉक्टरों की माने तो अगर ऐसी स्थिति में बच्चे कोरोना की चपेट में आते हैं तो घातक हो सकता है। राजस्थान में बच्चों के सबसे बड़े हॉस्पिटल जयपुर के जेके लॉन में इन दिन हर रोज खांसी-जुकाम, बुखार के मरीज आ रहे हैं। इनमें से 5 से 7 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जिनकी सीवियरिटी ज्यादा होने पर उन्हें एडमिट करना पड़ रहा है।
जेके लॉन हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट और एसएमएस मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. आर.के. गुप्ता ने बताया कि बच्चों में ज्यादातर मामले इन दिनों टायफाइड, यूरिन इंफेक्शन, मलेरिया और चेस्ट इंफेक्शन के केस आ रहे हैं। चेस्ट इंफेक्शन में ज्यादातर बच्चों को एडमिट किया जा रहा है।
जिन बच्चों के टेस्टिंग में ये बीमारियां डिटेक्ट नहीं हो रही हैं, उनमें परट्यूसिस, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) और राइनोवायरस के केस भी होने की संभावना है। इन आशंकाओं को देखते हुए हम उसी हिसाब से बच्चों का लाइन ऑफ ट्रीटमेंट सेट कर रहे हैं।
जेके लॉन हॉस्पिटल में रेयर डिजिज सेक्शन के डॉ. प्रियांशु माथुर के मुताबिक इस बार बच्चों में वायरल इंफेक्शन के साथ अस्थमा-एलर्जी के केस ज्यादा आ रहे हैं। इस कारण बच्चों में लंबे समय तक खांसी हो रही है। इसमें सामान्य वायरल के अलावा दूसरे तरह के इंफेक्शन भी हैं। परट्यूसिस, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस(RSV) और राइनोवायरस के केस भी इस बार देखने को मिल रहे हैं। अस्थमा-एलर्जी के केस में बच्चों में लंबे समय तक खांसी चल रही है, जिसे ठीक होने में 15 दिन से तक का भी समय लगा है।
जेके लॉन हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट के मुताबिक यहां हर रोज करीब 1200 से ज्यादा मरीज ओपीडी में दिखाने आ रहे हैं। इनमें से 250 से 300 मरीज तो केवल वायरल इन्फेक्शन के हैं। इन मरीजों में से कुछ बच्चों की ज्यादा स्थिति खराब होने पर उन्हें एडमिट भी किया जा रहा है। उनको 3-4 दिन तक ट्रीटमेंट देने के बाद छुट्टी दी जा रही है।
नवंबर में भी ओपीडी में करीब 1200 मरीज आ रहे थे, लेकिन उनमें डेंगू और मलेरिया के रोगियों की संख्या ज्यादा थी। अब वायरल इन्फेक्शन के केस ज्यादा आ रहे हैं। इसके अलावा सर्दियां बढ़ने के साथ ही चेस्ट इन्फेक्शन और अस्थमा संबंधित बीमारी के मरीज भी बढ़े हैं।
डॉ. आर.के. गुप्ता मुताबिक छोटे बच्चे(12 साल से छोटे) सामान्य इन्फ्लुएंजा की चपेट में हैं। वे कोरोना की चपेट में आते हैं तो उनकी सिवियरिटी ज्यादा घातक हो सकती है। हालांकि ये डिपेंड करता है कि बच्चे में इम्यूनिटी का लेवल क्या है। क्योंकि बच्चों में अगर कोरोना की एंटीबॉडी बनी होगी तो वह नेचुरल रूप से पहले संक्रमित होने पर बनी होगी। ऐसे में जिन बच्चों में एंटीबॉडी नहीं बनी होगी, उनके लिए ज्यादा परेशानी हो सकती है।
कोरोना और दूसरे वायरल में 90 फीसदी से ज्यादा लक्षण सामान्य होते हैं। जैसे जुकाम, गले में खराश, कमजोरी-थकान, सांस में तकलीफ आदि। ऐसे में बच्चा किस वायरस से संक्रमित हैं ये तो जांच करने पर ही पता चल जाएगा।
इन दिनों वायरल इन्फेक्शन ज्यादा फैल रहा है। ऐसे में बच्चों को इससे बचाने के लिए मास्क का उपयोग करवाएं तो ज्यादा बेहतर होगा। इसके साथ ही ऐसी जगहों से उन्हें दूर रखें, जहां बीमारी या संक्रमण के फैलने का खतरा रहता है। जैसे हॉस्पिटल या बहुत ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाके। इसके अलावा बच्चों को सर्दी से बचाने के अच्छे से प्रयास करने चाहिए। क्योंकि सर्दी लगने पर बच्चों की इम्युनिटी कमजोर पड़ जाती है। वे जल्दी दूसरे वायरस की चपेट में भी आ सकते हैं।
राजस्थान समेत पूरे देश में कोरोना को लेकर अलर्ट जारी हुआ है। राज्य में हेल्थ डिपार्टमेंट और उनके अधिकारी इस महामारी को लेकर अब उतना गंभीर नहीं दिख रहे है। यही कारण है कि स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से दो दिन पहले जारी गाइड लाइन के मुताबिक अब तक जयपुर में रेंडम सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इधर, केन्द्र सरकार ने आज सभी राज्यों को एक आदेश जारी करते हुए अपने यहां सभी हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन की पूरी व्यवस्था रखने के निर्देश दिए है।
You must be logged in to post a comment Login