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PM मोदी बोले- बुद्ध की शिक्षाओं के आधार पर ही भारत नई पहल कर रहा है
दिल्ली में हो रहे वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहुंच गए हैं। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन संस्कृति मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ मिलकर कर रहे हैं। उद्घाटन के दौरान PM मोदी ने कहा कि गौतम बुद्ध की शिक्षाओं ने सदियों से अनगिनत लोगों को प्रभावित किया है। इनसे प्रेरित होकर भारत विश्व कल्याण के लिए नई पहल कर रहा है।
20-21 अप्रैल को राजधानी के अशोक होटल में होने वाले सम्मेलन शुरू हो चुका है। इसमें लगभग 30 देशों के प्रतिनिधि और विदेशों के लगभग 180 प्रतिनिधि और भारतीय बौद्ध संगठनों के 150 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।
गौरतलब है कि बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा सम्मेलन में शामिल होने बुधवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे।
पढ़िए PM मोदी ने क्या कहा…
- इस धरती की परंपरा है- अतिथि देवो भव यानी अतिथि हमारे लिए देवता के समान होते हैं लेकिन भगवान बुद्ध के विचारों को जीने वाले इतने व्यक्तित्व जब हमारे सामने हों तो साक्षात बुद्ध की उपस्थिति का एहसास होता है।
- बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़कर एक बोध हैं। स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं। चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं और बुद्ध की ये चेतना चिरंतर है, निरंतर है। यह सोच शाश्वत है, ये बोध कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
- अमृतकाल में भारत के पास अपने भविष्य के लिए बड़े लक्ष्य भी हैं और विश्व कल्याण के नए संकल्प भी हैं। भारत ने दुनिया में नई पहल की हैं और इसमें हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा भगवान बुद्ध हैं।
- हमें दुनिया को सुखी बनाना है तो स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच छोड़ना और समग्रता का बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है। आज ये समय की मांग है कि हर व्यक्ति की, हर देश की प्राथमिकता देशहित के साथ ही दुनिया का हित भी हो।
समकालीन चुनौतियों पर होगी चर्चा
इस शिखर सम्मेलन में बौद्ध दर्शन और विचार की मदद से समकालीन चुनौतियों से निपटने के बारे में चर्चा होगी। यह वैश्विक शिखर सम्मेलन बौद्ध धर्म में भारत की प्रासंगिकता और उसके महत्व को रेखांकित करेगा, क्योंकि बौद्ध धर्म का जन्म भारत में ही हुआ था। इस दो-दिवसीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का विषय ‘समकालीन चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया : दर्शन से अभ्यास तक’ है।
बुद्ध धम्म में समाधान खोजेंगे
इस सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधि आज के प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और बुद्ध के धम्म में इसके समाधान खोजेंगे। सम्मेलन के दौरान बुद्ध धम्म और शांति, बुद्ध धम्म पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता, नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण और बुद्ध धम्म तीर्थयात्रा, जीवंत विरासत और बुद्ध अवशेष, एवं दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों का एक सुदृढ़ आधार आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी।
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