छत्तिश्गढ़
रनिंग करते गिरा जवान,खून की उल्टियों के बाद मौत..
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बस्तर फाइटर्स फोर्स के एक प्रशिक्षु जवान ने ट्रेनिंग के दौरान दम तोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि जवान मैदान में दौड़ लगा रहा था। इस बीच वह अचानक जमीन पर गिर गया। गिरने के बाद खून की उल्टियां करने लगा था। कुछ देर बाद जवान ने दम तोड़ दिया। फिलहाल उसकी मौत का कारण अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। जवान कोंडागांव जिले का रहने वाला था।
जानकारी के मुताबिक, मृत जवान का नाम मुन्नालाल पोयाम (24) है, जो कोंडागांव जिले के दहीकोंगा गांव का रहने वाला था। हाल ही में बस्तरिया बटालियन में भर्ती हुआ था। मुन्नालाल, बीजापुर जिले के धनोरा स्थित CAF कैंप में ट्रेनिंग ले रहा था। गुरुवार को रोज की तरह मैदान में अन्य प्रशिक्षु जवानों के साथ दौड़ लगा रहा था। इस बीच अचानक जमीन पर गिर गया। कुछ देर बाद खून की उल्टी भी किया। साथियों ने अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टर ने इसे मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमॉर्टम के बाद घर लाया जाएगा शव
मृत जवान के शव को पोस्टमॉर्टम के बाद गृहग्राम ले जाया जाएगा। गुरुवार की शाम तक PM नहीं हुआ था। पुलिस के मुताबिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चलेगा।
जानिए क्या है बस्तर फाइटर्स फोर्स?
बस्तर संभाग में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के लिए बस्तर फाइटर्स फोर्स का गठन किया गया है। इसमें संभाग के सातों जिलों से कुल 2800 युवाओं की भर्ती की गई है। प्रत्येक जिले से 400-400 युवा भर्ती किए गए हैं। जिन्हें प्रशिक्षण के बाद अब जल्द ही नक्सलियों के खिलाफ मोर्चे में तैनात किया जाएगा। पुलिस का मानना है कि, एक तरफ जहां बस्तर फाइटर्स से युवाओं को रोजगार मिला तो वहीं दूसरी तरफ अंदरूनी इलाकों के युवा फोर्स में भर्ती हुए हैं तो माओवादियों की कमर भी अपने आप टूटने लगी है।
जंगल के चप्पे-चप्पे की जानकारी
छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में बस्तर फाइटर्स के लिए घोषणा की थी। सरकार इनके पीछे हर साल 92 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बस्तर फाइटर्स की एक खास बात यह है कि इसमें सिर्फ उन्हीं युवाओं की भर्ती की जा रही है, जो बस्तर के ग्रामीण और अंदरूनी क्षेत्र के हैं। जिन युवाओं को इनमें मौका मिलेगा, उन्हें जंगलों के चप्पे-चप्पे की जानकारी बचपन से है।
दक्षिण बस्तर के जिलों को होगा ज्यादा फायदा
नक्सलियों से लोहा लेने के लिए तैयार किए जा रहे बस्तर फाइटर्स (टाइगर) विशेष बल का सबसे ज्यादा फायदा दक्षिण बस्तर के जिलों को मिलेगा। बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा के अलावा नारायणपुर जिले के कई गांव आज भी नक्सलियों के कब्जे में हैं। नक्सली इन गांव के युवाओं को संगठन में शामिल करने की कोशिशों में लगे रहते हैं। ऐसे में नक्सलवाद का दंश झेल रहे इन गांव के युवाओं की पुलिस में भर्ती होती है, तो काफी हद तक इन इलाकों से नक्सली बैक फुट पर चले जाएंगे। साथ ही स्थानीय युवा बस्तर की भौगोलिक स्थित से परिचित भी हैं। जिसका बड़ा फायदा पुलिस को नक्सल ऑपरेशन में मिलेगा।
पहली बार बस्तर की फोर्स में 9 थर्ड जेंडर.. यहां पढ़िए खबरें
बस्तर फाइटर्स फोर्स में तीन महीने पहले 2100 स्थानीय युवक युवतियों का चयन हुआ था। खास बात यह है कि, इस फोर्स में 9 तृतीय लिंग यानी थर्ड जेंडर भी चयनित हुईं। इनमें से 8 कांकेर और 1 बस्तर जिले की हैं। बस्तर में पहली बार थर्ड जेंडर श्रेणी के लोगों की पुलिस में भर्ती हुईं है। अब ये सभी नक्सल मोर्चे पर तैनात होंगी। हाथों में बंदूक उठा नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में जाएंगी।
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