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मध्य प्रदेश

‘बेटी की तस्वीर देखकर रूह कांप जाती है’,मर्डर के बाद हेड कॉन्स्टेबल पिता पहली बार कैमरे के सामने आए..

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‘मैंने कभी अपनी लाडली को हाथ तक नहीं लगाया। डांटा-फटकारा तक नहीं। कभी गुस्सा किया, तो चंद मिनटों में ही बेटी को मना लिया। और उसने बेटी का बेरहमी से कत्ल कर दिया। हत्यारे को ऐसी सजा मिलनी चाहिए, जो नजीर बने, जिससे कोई भी यश तिवारी एकतरफा सनक के चलते किसी निक्की को मारकर फेंकने में हजार बार सोचे। अब तो बेटी की तस्वीर देखकर रूह कांप जाती है।’

इस दर्द को बयां करते हुए निकिताशा के हेड कॉन्स्टेबल पिता उमेश चौहान फफक पड़ते हैं। मन में गुस्सा भी है। उनको बेटी निकिताशा की मौत का ऐसा धक्का लगा कि आंसू सूख से गए हैं। वारदात के बाद पहली बार छात्रा के पिता कैमरे के सामने आए। दैनिक भास्कर ने उमेश चौहान से बात की। बेटी को याद कर उमेश चौहान रोने लगते हैं। रह-रहकर बेटी की याद आ रही है। पल भर के लिए आंखों के सामने से चेहरा जा नहीं रहा। वह कहते हैं कि सबसे छोटी होने के कारण सबसे लाडली थी। उस दिन अगर मेरी आंख नहीं लगती, तो शायद वो जिंदा होती।

बता दें, 20 जुलाई को ज्यूडिशियल एकेडमी क्षेत्र के जंगल में निकिताशा का शव मिला था। पुलिस ने निकिताशा के दोस्त यश तिवारी को गिरफ्तार किया था। आरोपी ने निकिताशा के गले पर चाकू के 10 से ज्यादा वार कर हत्या कर दी थी। आरोपी के पास से चाकू भी बरामद किया गया था।

उमेश चौहान बताते हैं कि 20 जुलाई की सुबह की बात है। निक्की जब घर से निकली, तब मेरी आंख लग गई थी। मैं ही उसे छोड़ने जाने वाला था। पहले उसे कॉलेज से आई कार्ड लेना था। इसके बाद स्कूल के कार्यक्रम में शामिल होने का प्लान था। हम दोनों ने ही खाना नहीं खाया था। साथ खाना खाने वाले थे। इसी बीच, मुझे नींद आ गई। वह घर से अकेली ही चली गई।

निकिताशा ने इसी साल कॉलेज में दाखिला लिया था। अभी उसने कॉलेज जाना शुरू तक नहीं किया था। उसके कई सपने थे। जिंदगी में बहुत कुछ हासिल करना चाहती थी। फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी। हमने उसकी हर जायज ख्वाहिश को पूरा किया। कभी रोक-टोक नहीं की। वह बेहद समझदार थी। उसने भी कभी कोई ऐसी मांग नहीं की, जिसे हम पूरा न कर सकें। सबसे छोटी बेटी होने के कारण निक्की बेहद लाडली थी। दो बेटियों की शादी हो चुकी है। तीसरी एमबीए करने के बाद नौकरी कर रही है। निक्की पढ़ाई कर रही थी।

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उसकी बड़ी बहन ने समझाया था कि बीकॉम की डिग्री पूरी कर लो, फैशन डिजाइनिंग का कोर्स ग्रेजुएशन के बाद कर लेना। बहन की बात उसे समझ आई। उसने कॉलेज में दाखिला लेने के लिए आवेदन किया। यश तिवारी और उसकी दोस्ती के संबंध में हमें वारदात के बाद ही पता लगा है। यश की बहन ने ही दोनों की मुलाकात कराई थी। आरोपी यश की बहन और निक्की एक ही कोचिंग में पढ़ा करते थे।

आरोपी की बहन ही निक्की और उसकी दोस्ती की जरिया बनी। जिस बेरहमी से बेटी का कत्ल किया गया है, उसके लिए आरोपी को ऐसी सजा होनी चाहिए, जो नजीर बने। बेटी की मौत के बाद अंदर से टूट गया हूं। मेरा दर्द, मैं ही जानता हूं। मेरी निक्की नहीं, बल्कि मेरा सब कुछ चला गया। सबसे लाडली बेटी थी। बेहद चहेती थी। ड्यूटी से लौटते ही उसकी एक मुस्कान मात्र से मेरी थकान दूर हो जाती थी।

पिछले महीने बर्थडे पार्टी की थी अटैंड

निकिताशा ने पिछले महीने परिवार के साथ करीबी रिश्तेदार की बर्थडे पार्टी अटैंड की थी। यहां सभी ने जमकर मस्ती की थी। उमेश चौहान का कहना है कि यह निक्की के साथ आखिरी पार्टी थी। इसकी यादें आज भी जेहन में ताजा हैं। इसके संबंध में बात करते हुए आंखों से आंसू किसी हाल नहीं थम रहे थे।

रूह कांपती है बेटी की मौत के बाद की तस्वीर देखकर

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उमेश और उनकी पत्नी का कहना है कि मौत के बाद बेटी की तस्वीर देखकर रूह कांप जाती है। कैसे हम उस सड़क से कभी गुजर सकेंगे, जहां बेटी की हत्या की गई। उमेश कहते हैं, मैं तो कभी भदभदा चौकी के सामने से भी नहीं गुजर सकूंगा, कैसे गुजर सकता हूं, यहां मेरी बेटी की इतनी बेरहमी से हत्या जो की गई है।

आरोपी को किसी का संरक्षण है

निक्की की मां कहती हैं कि आरोपी को किसी अपराधी का संरक्षण है। उसके घर में आपराधिक तत्व के लोग जरूर होंगे। कैसे एक कम उम्र के लड़के में अक्ल आई कि हत्या के बाद उसने सरेंडर कर दिया, जबकि बड़े से बड़ा क्रिमिनल घटना के बाद छिपता है, भागता है, लेकिन उसने सरेंडर किया। इससे साफ होता है कि उसे किसी ने बताया कि छिपे या फरार हुए तो नुकसान हो सकता है। सरेंडर करने से जेल भेज दिया जाएगा। यातना का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।

केस को रेयरेस्ट की श्रेणी में लेने प्रतिवेदन तैयार करेंगे

रातीबड़ थाना प्रभारी हेमंत श्रीवास्तव ने बताया कि सनसनीखेज हत्याकांड को अति जघन्य अपराध की श्रेणी में लेने के लिए प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। केस से जुड़े तमाम सबूत एकत्र कर लिए गए हैं, जिससे आरोपी को सजा दिलाने में मदद मिलेगी।

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जल्द ड्यूटी जॉइन करना था

वारदात के ठीक एक दिन पहले बुधवार को उमेश चौहान थाने पहुंचे थे। स्टाफ को प्रसाद बांटा था। बताया था कि दो से तीन दिन में ड्यूटी जॉइन करेंगे। उमेश लंबे समय से थाना गौतम नगर में पदस्थ हैं। वे यहां मालखाना एचसीएम की जिम्मेदारी संभालते हैं।

यश ने श्रेणी सुधार के नाम पर एवीएम स्कूल में लिया था एडमिशन

एवीएम स्कूल की प्रिंसिपल वंदना ने बताया कि यश तिवारी नाम के लड़के ने बीते साल 12वीं में एडमिशन लिया था। जबकि वह हायर सेकेंडरी परीक्षा एक साल पहले पास कर चुका था। उसने दोबारा 12वीं में एडमिशन लेने की वजह श्रेणी सुधार करना बताया था, लेकिन एडमिशन होने के तीन दिन बाद ही कैंसिल कर दिया था। यश के खिलाफ यह कार्रवाई स्कूल के स्टूडेंट्स से मिले फीडबैक के आधार पर की गई थी। साथ ही उसे कॉलेज में दाखिला लेकर आगे की पढ़ाई जारी करने की सलाह दी गई थी। स्कूल सूत्रों के मुताबिक यश तिवारी का 12वीं क्लास में श्रेणी सुधार कारण बताकर एडमिशन उसकी दोस्त निकिताशा चौहान ने कराया था।

इसके लिए छात्रा ने अपने किसी परिचित से स्कूल में सिफारिश भी कराई थी, लेकिन क्लास से यश तिवारी के व्यवहार को लेकर शिकायतें मिली थीं। इन्हीं शिकायतों के चलते उसका एडमिशन कैंसिल किया गया था। प्रिंसिपल ने बताया कि निकिताशा चौहान पढ़ने में अच्छी थी। इसी साल फर्स्ट डिवीजन से हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की थी। बकौल स्कूल प्रिंसिपल छात्रा की दो बड़ी बहनों ने भी एवीएम स्कूल से ही पढ़ाई की है। वह चार बहनों में सबसे छोटी थी। उसका कोई भाई नहीं है।

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आरोपी बोला था- मुझे इग्नोर कर रही थी

यश तिवारी (20) पिता सतीश तिवारी शिव मंदिर के पास नेहरू नगर में रहता हूं। यूनीक कॉलेज से बीकॉम फर्स्ट ईयर में पढ़ रहा हूं। निकिताशा को बीते चार साल से जानता हूं। दोनों एक ही स्कूल में पढ़े। वहीं मुलाकात हुई थी। दोस्ती की शुरूआत में दोनों के बीच सोशल मीडिया पर बातें होती थीं। बाद में कॉल पर संपर्क में रहने लगे थे। पिछले कुछ दिनों से निक्की मुझे इग्नोर करने लगी थी। मुझे शक था कि वह सोशल मीडिया पर अन्य लड़कों से बात करती है। कॉल पर भी उनके संपर्क में रहती है।

कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह मुझे ही इग्नोर करती रही। सबक सिखाने के लिए गुरुवार रात को मिन्नतें कर उसे मिलने बुलाया था। अपनी बाइक से नेहरू नगर से भदभदा, केरवा रोड व वापस नीलबड़ से भदभदा होता हुआ नेशनल ज्यूडिशयल एकेडमी की बाउंड्री किनारे पहुंचा।

सुनसान जगह (कच्चा रास्ते) पर ले गया। ज्यूडिशियल एकेडमी की बाउंड्री वॉल किनारे निक्की से बात की। हमारी बहस हुई, मैंने पहले ही उसे मारने का मन बना लिया था। बैग में चाकू रखकर लाया था। चाकू से निक्की का गला काट दिया। वह मदद के लिए चिल्लाती रही, सुनसान होने कारण किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी। मैंने एक के बाद एक करीब दस से ग्यारह वार उसके गले पर किए थे। एक वार उसके होठ पर भी लगा था।

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