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ओडिशा

ओडिशा ट्रेन हादसे में बेटे का शव लेने पहुंचे पिता,कोई पहले ही बिहार ले गया..

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ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे को 6 दिन गुजर चुके हैं। अभी भी लोग इन ट्रेनों में सफर कर रहे अपनों की तलाश कर रहे हैं।

शिवनाथ पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। उनका बेटा विपुल तिरुपति से बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस से लौट रहा था, जो दुर्घटना का शिकार हो गई। शिवनाथ ने बेटे का फोटो टीवी पर देखा और शव लेने ओडिशा पहुंच गए।

शिवनाथ मुर्दाघर पहुंचे तो वहां विपुल का शव नहीं मिला। अधिकारियों ने पूछने पर बताया कि उस शव पर किसी दूसरे व्यक्ति ने दावा किया तो अधिकारियों ने शव को बिहार भेज दिया।

शिवनाथ का मामला इकलौता नहीं हैं। इस हादसे में अपनों को खो चुके दर्जनों परिवार शवों को पाने के लिए भटक रहे हैं। ऐसी गफलत से बचने के लिए अधिकारियों ने शवों का DNA टेस्ट कराने का फैसला किया है।

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे ओडिशा ट्रेन हादसे में मारे गए कितने लोगों के शवों पर विवाद और DNA टेस्ट क्या है, जिससे इन दावों की सही पहचान हो सकेगी…

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पहले ओडिशा ट्रेन हादसे में शवों के लिए परेशान परिजनों की 3 कहानियां…

1. ट्रेन हादसे में बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी अखिलेश राय की मौत हो गई। खबर मिलते ही अखिलेश के पिता गुलाम राय बालासोर पहुंचे और फोटो दिखाकर बेटे के शव की पहचान की। इसके बाद गुलाम बेटे के शव को लेने के लिए मॉर्चुरी पहुंचे। वहां उन्हें बताया गया कि उनके बेटे के शव पर बिहार के तीन और परिवारों ने दावा किया है।

2. AIIMS भुवनेश्वर ने 42 साल के जहांगीर मिडडे नाम के एक शव की पहचानकर उसके भाई को सौंप दिया। मिडडे के शरीर में कई चोटें थीं और शव सड़ने की वजह से उसका चेहरा बिल्कुल पहचान में नहीं आ रहा था। इसी समय इस शव पर पश्चिम बंगाल के ही एक और परिवार ने दावा ठोंक दिया। इस परिवार का कहना था कि ये शरीर 41 साल के अंजारुल हक का है। दरअसल, अंजारुल और जहांगीर ने एक जैसे कपड़े पहने थे। इसी वजह से शव को लेकर दोनों परिवार में कन्फ्यूजन है। इसके बाद प्रशासन ने जांच के बाद ही शव देने की बात कही है।

3. कुछ ऐसे ही दुविधा में बिहार का मोहम्मद इमाम उल हक भी फंसा है। उसके भाई का शव अभी भी लापता है, जबकि 12 वर्षीय भतीजे के शव पर दूसरे परिवार भी दावा कर रहे हैं। इमाम के परिवार को पहले प्रशासन ने शव सौंप दिया था, लेकिन घर निकलने से पहले शव पर दूसरे लोगों ने भी दावा कर दिया। इमाम का कहना है कि उसके यहां परंपरा है कि लड़कों के जन्म के समय उनका खतना किया जाता है। हालांकि शव इस स्थिति में नहीं है कि उसकी जांच की जा सके।

ओडिशा ट्रेन हादसे में 288 लोगों के मौत हुई है। इनमें 80 से ज्यादा शव ऐसे हैं, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है। जैसे-जैसे दिन बीतते जा रहे हैं, अस्पताल और स्थानीय प्रशासन के लिए इन शवों को सुरक्षित रखना मुश्किल हो रहा है।

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AIIMS भुवनेश्वर के डायरेक्टर आशुतोष विश्वास ने कहा है कि शवों की पहचान के लिए DNA जांच कराने का फैसला किया गया है। दिल्ली स्थित AIIMS, लेडी हार्डिंग और राम मनोहर लोहिया जैसे टॉप संस्थानों से एनाटॉमी और फोरेंसिक विभाग के 20 डॉक्टर ओडिशा पहुंचे हैं। ये शवों की जांच करने और सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं।

सीनियर पुलिस अधिकारी प्रतीक सिंह ने बताया कि ओडिशा के कई अस्पतालों से एक्सीडेंट में मारे गए लोगों के शवों से DNA सैंपल लेने का काम शुरू किया गया है। मंगलवार को 10 सैंपल लेकर विमान से दिल्ली भेजा गया। रिपोर्ट आने के बाद ही शवों की पहचान हो पाएगी।

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को दिन में पत्रकारों को बताया कि ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की जड़ में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और सिग्नल सिस्टम में समस्या सामने आई है। जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि रेलवे में इंटरलॉकिंग सिस्टम होता क्या है, ये काम कैसे करता है और ओडिशा हादसे में किसी साजिश की कितनी संभावना है

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