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अजित पवार के घर विधायकों की बैठक,NCP ने अजित समेत 9 बागियों को अयोग्य घोषित करने की मांग की..
NCP में अजित पवार की बगावत के बाद पार्टी किसकी होगी? इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है। अजित पवार अपने सरकारी आवास पर विधायकों के साथ आगे की रणनीति पर मीटिंग कर रहे हैं। वहीं शरद पवार कुछ ही देर में सतारा पहुंचेंगे। वे यहां पार्टी की रैली के जरिए शक्ति प्रदर्शन करेंगे।
इधर, अजित पवार और 8 अन्य विधायकों के बगावत के बाद NCP ने सभी बागियों को डिस्क्वॉलिफाई करने के लिए विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर और चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।
इसमें कहा गया है कि पार्टी की कमान शरद पवार के पास है। शरद ने 1999 में पार्टी की स्थापना की थी। अजित की पार्टी पर दावे से जुड़ी कोई भी अपील पर कार्रवाई करने से पहले उनके पक्ष को भी सुने। इस बीच पार्टी ने जितेंद्र आव्हाड को विधानसभा में विपक्ष का नेता और मुख्य सचेतक (Chief Whip) नियुक्त किया है। इससे पहले अजित पवार के पास ये जिम्मेदारी थी।
अपडेट्स…
- पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी आज मातोश्री में पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति पर चर्चा करेंगे।
- संजय राउत ने कहा- अजीत पवार का कैबिनेट में आने का मतलब है एकनाथ शिंदे जा रहे हैं। वे अब CM नहीं रहेंगे।
- NCP में दरार के बाद सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और ममता बनर्जी ने शरद पवार को फोन कर समर्थन जताया।
अजित पवार करेंगे NCP पर दावा, बोले- पार्टी के 53 में से 40 विधायक साथ
उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अजित ने कहा कि उनके साथ पार्टी के 53 में से 40 विधायक हैं। यानी एक तिहाई से ज्यादा। उन्होंने NCP छोड़कर शिवसेना-भाजपा से हाथ नहीं मिलाया है, बल्कि NCP के तौर पर ही यह कदम उठाया है। हमने सभी सीनियर नेताओं को भी इसकी जानकारी दे दी है।
उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी में मैजोरिटी को महत्व दिया जाता है। हमारी पार्टी 24 साल पुरानी है और युवा लीडरशिप को आगे आना चाहिए। ऐसे में पार्टी पर अधिकार को लेकर चुनाव आयोग में अजित पवार गुट का दावा मजबूत रहेगा और शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ सकता है।
जयंत पाटिल ने कहा- ये नेता पार्टी के खिलाफ
NCP नेता जयंत पाटिल ने बताया कि हमने डिस्क्वॉलिफिकेशन की एक याचिका विधानसभा स्पीकर के पास दाखिल की है। इन 9 विधायकों ने किसी को नहीं बताया कि वे पार्टी को छोड़ने वाले हैं। ये पार्टी नियमों के खिलाफ है। हमने चुनाव आयोग काे भी एक पत्र लिखा है। हम इन 9 विधायकों के रवैये को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हालांकि, हमें यकीन है कि ये सभी विधायक NCP में लौट आएंगे। अगर वे आते हैं, तो हम उन्हें स्वीकार कर लेंगे।
पवार बोले- कांग्रेस और उद्धव के साथ समीक्षा करूंगा
शरद पवार ने कहा कि मुझे देश के हर कोने से समर्थन मिल रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे और ममता बनर्जी ने मुझे कॉल किया। इसलिए मैं आज के घटनाक्रम से परेशान नहीं हूं। पवार ने बताया कि अगले दो-तीन दिन में वे कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के साथ बैठकर हालात की समीक्षा करेंगे। पवार ने कहा कि हमारी असली ताकत आज जनता है, उन्होंने हमें चुना है।
शरद पवार का अगला कदम?
पवार के लिए सदमा है। हालांकि उन्होंने यह झलकने नहीं दिया। यही कहा है कि फिर जनता के बीच जाएंगे। यानी वे हारे नहीं हैं।
एनसीपी व चुनाव चिह्न पर अजित के दावे में कितना दम? अजित खेमे का दावा है कि NCP के मौजूदा 53 में 40 विधायकों का समर्थन के निशाने पर रहे हैं? है। शिंदे मामले में चुनाव आयोग ने संख्या देखते हुए शिंदे गुट के पक्ष में फैसला दिया था।
दलबदल कानून लागू होगा?
इस कानून की दो शर्तें हैं। जिस दल को नेता छोड़ रहा है, उसका दूसरे दल में विलय हो जाए। दो तिहाई विधायक सहमत हों। दोनों स्थितियां अजित के पक्ष में हैं। अजित पवार का दावा है कि उन्हें राज्य विधानसभा में एनसीपी के कुल 53 विधायकों में से 40 से अधिक का समर्थन प्राप्त है। दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए अजित के पास 36 से अधिक विधायक होने चाहिए।
शिंदे गुट की धमक कम होगी?
शिंदे गुट की उपयोगिता खत्म सी हो गई है। 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत 145 पर है। शिंदे-फडणवीस सरकार के पास 160 का आंकड़ा था। अब 35 एनसीपी विधायक हैं। भाजपा-शिवसेना के 10-10 मंत्री हैं। 23 पदों में 9 एनसीपी के हो गए हैं। भाजपा ने शिंदे को 5 मंत्री हटाने का सुझाव दिया था। उन्हें भाजपा के निर्देशों पर अमल करना होगा।
भाजपा कितनी सफल रही?
एनसीपी को साधकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिहाज से महाराष्ट्र को सबसे आसान राज्य की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है। जानकाररों का मानना है कि पार्टी बिहार में भी ऑपरेशन लोटस पार्ट 2 ला सकती है।
महाराष्ट्र में 2019 से अब तक 4 बार शपथ ग्रहण हो चुका है। नवंबर 2019 में अजित पवार ने भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। सरकार केवल 80 घंटे चली थी। इसके बाद 2019 में ही अजित ने महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। यह सरकार जून 2022 में गिर गई। इसके बाद 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चौथा शपथग्रहण एक बार फिर अजित पवार का हुआ। उन्होंने 2 जुलाई 2023 को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली।
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